Breaking News
अजित कुमार की फिल्म ‘गुड बैड अग्ली’ का ट्रेलर हुआ रिलीज, 10 अप्रैल को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म 
अजित कुमार की फिल्म ‘गुड बैड अग्ली’ का ट्रेलर हुआ रिलीज, 10 अप्रैल को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म 
बच्चों को कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाने के बाद पत्नी के साथ की बर्बरता की हदें पार
बच्चों को कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाने के बाद पत्नी के साथ की बर्बरता की हदें पार
माह दिसम्बर तक बजट का 80 प्रतिशत तक खर्च किया जाए- मुख्यमंत्री
माह दिसम्बर तक बजट का 80 प्रतिशत तक खर्च किया जाए- मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका की सरकार ने ‘मित्र विभूषण सम्मान’ से किया सम्मानित 
प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका की सरकार ने ‘मित्र विभूषण सम्मान’ से किया सम्मानित 
गरीबों को आज से मिलेगा आयुष्मान का लाभ, देशभर के निजी अस्पतालों में करा सकेंगे 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज 
गरीबों को आज से मिलेगा आयुष्मान का लाभ, देशभर के निजी अस्पतालों में करा सकेंगे 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज 
इस दिन खुलेगी केदारनाथ हेली सेवा के टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग के लिए वेबसाइट
इस दिन खुलेगी केदारनाथ हेली सेवा के टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग के लिए वेबसाइट
आईपीएल 2025- दिल्ली कैपिटल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच मुकाबला आज 
आईपीएल 2025- दिल्ली कैपिटल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच मुकाबला आज 
मुख्यमंत्री धामी ने विभिन्न महानुभाव को सौंपे विभागीय दायित्व
मुख्यमंत्री धामी ने विभिन्न महानुभाव को सौंपे विभागीय दायित्व
क्या आप भी कराती हैं बार- बार हेयर स्पा, तो जान लीजिये इसके नुकसान 
क्या आप भी कराती हैं बार- बार हेयर स्पा, तो जान लीजिये इसके नुकसान 
बेरोजगारी का गंभीर मसला

संसद की सुरक्षा चूक के मामले में बहस का दायरा बढ़ गया है। कानून तोडऩे वालों को अपने किए की सजा मिलनी चाहिए, लेकिन साथ ही उस मसले का हल भी जरूर ढूंढा जाना चाहिए, जो आगे चल कर देश में सामाजिक अस्थिरता का कारण बन सकती है। यह निर्विवाद है कि संसद की सुरक्षा को भंग करने वाले नौजवानों ने गैर-कानूनी रास्ता चुना। इसके लिए उनके खिलाफ कानून की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बीच बेशक इस मामले में ऐसा कुछ नहीं कहा जाना चाहिए, जिससे समाज ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा मिले। लेकिन हकीकत यह है कि इस घटना से भारत में रोजगार के सवाल पर बहस खड़ी होती नजर आ रही है। इसकी वजह इन नौजवानों की पृष्ठभूमि है। ये सभी पढ़े-लिखे, लेकिन अपनी योग्यता के अनुरूप रोजगार ढूंढ पाने में नाकाम नौजवान हैं। उनमें से कम-से-कम तीन के माता-पिता और अन्य परिजनों ने सार्वजनिक बयान दिया है कि बेरोजगारी का मुद्दा उठाना गलत नहीं है।

इस बात ने ध्यान खींचा है कि इन नौजवानों के परिजन पूरी मजबूती से अपनी ‘बेटी/बेटों’ के साथ खड़े हैं। इसीलिए पहले सोशल मीडिया पर ये चर्चा छिड़ी। फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि संसद की सुरक्षा भंग होने के पीछे मुख्य कारण देश में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई की समस्याएं हैँ। उधर मेनस्ट्रीम मीडिया के एक हिस्से में इस प्रकरण में इस पहलू की चर्चा शुरू हुई है। इनमें ध्यान दिलाया गया है कि देश में ऊंची आर्थिक विकास दर के साथ-साथ बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ती चली गई है।

यह आज के भारत की हकीकत है। जिस देश में श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) 40 प्रतिशत से नीचे बनी हुई हो और उसके बावजूद बेरोजगारी दर भी साढ़े प्रतिशत से ऊपर हो, वहां आबादी के एक बड़े हिस्से में पैदा गहराने होने वाली मायूसी का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस पर ध्यान देने के बजाय वर्तमान सरकार का नजरिया रोजगार की परिभाषा बदल कर समस्या की गंभीरता को घटाकर बताने का रहा है। यह एक तरह से परेशान नौजवानों के जले पर नमक छिडक़ने जैसा है। अब बेहतर होगा कि सरकार अपना ये नजरिया बदले। बेशक, कानून तोडऩे वालों को अपने किए की सजा मिलनी चाहिए, लेकिन साथ ही उस मसले का हल भी जरूर ढूंढा जाना चाहिए, जो आगे चल कर देश में सामाजिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top