बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के नेता उत्तर प्रदेश को लेकर अक्सर कोई न कोई योजना बनाते रहते हैं। कई बार जदयू ने यूपी में विस्तार करने की योजना बनाई। पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी इसकी कोशिश में रहे तो जब आरसीपी सिंह पार्टी के अध्यक्ष थे तब उन्होंने भी प्रयास किया था। लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिली। जब से बिहार में जाति गणना हुई है और नीतीश कुमार को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोजेक्ट करने के प्रयास शुरू हुए हैं तब से चर्चा है कि नीतीश उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ सकते हैं। कुछ समय पहले फूलपुर के कुछ लोग पटना जाकर नीतीश और पार्टी के अन्य नेताओं से मिले थे और उनसे फूलपुर सीट पर चुनाव लडऩे का आग्रह किया था।
लव-कुश यानी कोईरी-कुर्मी समीकरण वाले इस सीट पर कांग्रेस नेता प्रियंक गांधी वाड्रा के भी चुनाव लडऩे की चर्चा चलती रहती है क्योंकि पारंपरिक रूप से यह सीट कांग्रेस की रही है और पंडित जवाहरलाल नेहरू इस सीट से चुनाव लड़ते थे। बहरहाल, फूलपुर के अलावा नीतीश कुमार को लेकर यह भी चर्चा रही है कि वे वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ सकते हैं। प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखने वाले अरविंद केजरीवाल 2014 में वाराणसी लड़े थे लेकिन उसके बाद फिर वहां नहीं गए। प्रियंका गांधी वाड्रा के भी वाराणसी लडऩे की खबरें आती रहती हैं और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने यह संकेत भी दिया था कि इस बारे में चर्चा हुई है।
बहरहाल, अब खबर है कि नीतीश कुमार 24 दिसंबर को वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली रोहनिया सीट पर एक जनसभा करेंगे। यह कुर्मी बहुल इलाका है। वहां से नीतीश कुमार कोई मैसेज दे सकते हैं। वे वाराणसी या फूलपुर से चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह तय नहीं है लेकिन यह तय है कि वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के विस्तार को लेकर गंभीर है। अभी तक मोटे तौर पर कोईरी-कुर्मी का रूझान उत्तर प्रदेश में भाजपा की ओर है। अगर नीतीश सक्रिय होते हैं तो विपक्षी गठबंधन को इसका कुछ फायदा हो सकता है।