देहरादून। गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के गेस्ट हाउसों में टीएचडीसी की ओर से चार्जिंग स्टेशन की सुविधा फरवरी में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इस सुविधा के बाद उत्तराखंड आने वाली गाड़ियों से जो प्रदूषण होता है, उससे भी राहत मिलेगी। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों से भी पर्यटक आसानी से घूम सकेंगे। निगम की ओर से अक्टूबर में ही इस संबंध में टीएचडीसी के साथ समझौता किया गया था। पर्यावरण अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए योजना को बनाया गया है। इसके बाद टीएचडीसी को अपने गेस्ट हाउसों में जगह उपलब्ध कराई गई है। पर्यटन स्थलों के आसपास चार्जिंग स्टेशन न होने की वजह से दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटकों को कई बार अन्य राज्यों का प्लान करना पड़ता है या प्लान को निरस्त करना होता है।
इसके साथ ही कई बार पर्यटकों को अपना वाहन होने के बावजूद बसों में धक्के खाकर जाने को मजबूर होना पड़ता है। चार्जिंग स्टेशन स्थापित होने के बाद पर्यटक कई स्थलों का भ्रमण कर पाएंगे। वर्तमान में देहरादून में माल और होटलों में ही चार्जिंग स्टेशन हैं लेकिन इस व्यवस्था के बाद दून के द्रोण होटल में भी चार्जिंग सुविधा आसानी से मिल सकेगी, जो कि आइएसबीटी से कुछ ही दूरी पर है। ये सुविधा सिर्फ पर्यटकों के लिए ही नहीं बल्कि स्थानीय निवासियों को भी मिलेगी। अभी तक आमजन घर या होटल, माल में वाहन को चार्ज करते हैं। साथ ही पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए डीजल या पेट्रोल वाहन का इस्तेमाल चार्जिंग सुविधा न होने के कारण करते हैं। पर्वतीय जिलों में कहीं भी चार्जिंग स्टेशन नहीं है। लेकिन अब पर्वतीय क्षेत्रों के निवासी भी इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीद सकेंगे। एक बार में दो वाहन चार्ज हो सकेंगे।
निगम की ओर से यह सुविधा ऋषिकेश, होटल द्रोण देहरादून, डाकपत्थर, धनोल्टी, उत्तरकाशी, तिलवाड़ा, रामपुर, ऊखीमठ, टिहरी लेक रिसार्ट कोटी कालोनी, जोशीमठ, बद्रीनाथ, देवप्रयाग, पिरानकलियर में शुरू की जाएगी। निगम की ओर से टीएचडीसी से इसके लिए प्रति यूनिट का चार्ज लिया जाएगा। ये चार्ज 1.25 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से लिया जाएगा। टीएचडीसी की ओर से अभी प्रति वाहन पर कितना चार्ज किया जाएगा, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
टीएचडीसी के सीनियर मैनेजर आनंद अग्रवाल के अनुसार, चारधाम के कपाट खुलने से पहले सभी गेस्ट हाउसों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, ताकि तीर्थ यात्रियों को वाहन चार्ज करने की सुविधा मिल सके। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए सोचना न पड़े।