देहरादून। प्रदेश में बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले युवाओं के लिए भर्तियों की भारी कमी हो गई है। हालात ये हैं कि पिछले साल राज्य लोक सेवा आयोग ने केवल एक भर्ती निकाली थी और इस साल दो। हर साल 15 हजार से ज्यादा सामान्य ग्रेजुएट पासआउट होते हैं और इन तीन भर्तियों में केवल 785 पद थे। युवाओं का कहना है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड का राज्य लोक सेवा आयोग इस मामले में काफी पीछे चल रहा है। इंतजार में उनकी उम्र निकलती जा रही है। आयोग ने पिछले दो साल में वैसे तो बहुत भर्तियां निकाली हैं, जिनमें समूह-ख व समूह-ग के भर्तियां शामिल हैं।
सेनिटरी इंस्पेक्टर, एई भर्ती, जेईभर्ती, आईटीआई प्रिंसिपल, लेक्चरर, जियोलॉजिकल माइनिंग, मैनेजमेंट ऑफिसर, वेटरनरी ऑफिसर आदि भर्तियां ऐसी निकाली, जिनमें केवल संबंधित विषय में विशेष योग्यता वाले युवा ही शामिल हो सकते थे। इसी प्रकार आयोग ने फॉरेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक की जो भर्ती निकाली वह 12वीं के स्तर की है। यह सामान्य ग्रेजुएशन पास युवाओं के लिए नहीं है। राज्य के इन युवाओं के लिए न तो पीसीएस, लोअर पीसीएस जैसी भर्तियां निकल पाईं और न ही फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर, सब इंस्पेक्टर, अपर निजी सचिव भर्ती का इंतजार खत्म हो पाया है।
युवाओं का कहना है कि इसी इंतजार में वह आयु सीमा से बाहर होते जा रहे हैं। वहीं, आयोग का तर्क है कि जो भी अधियाचन (प्रस्ताव) संबंधित विभागों से आ रहे हैं, उनकी भर्तियां सही समय पर निकाली जा रही हैं। जो अधियाचन किसी कमी की वजह से लौटाए गए थे, वह अभी तक वापस नहीं आए हैं। कहा, अब नए साल में इन ग्रेजुएट युवाओं के लिए कुछ भर्तियां निकलने की उम्मीद जग रही है। खास बात ये भी है कि आयोग ने सालभर में पांच बार एग्जाम कैलेंडर जारी किया है। हर कैलेंडर में कई नई भर्तियों का वादा हुआ तो कई पुरानी गायब हो गईं।